अयोध्या सिंह उपाध्याय का जीवन परिचय | Ayodhya Singh Upadhyay Ka Jeevan Parichay

अयोध्या सिंह उपाध्याय का जीवन परिचय ( Ayodhya Singh Upadhyay Ka Jeevan Parichay ) :-

अयोध्या सिंह उपाध्याय जी का जन्म 15 अप्रैल 1865 में उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में निजामाबाद में हुआ था। इनको “हरिऔध” के नाम से भी जाना जाता है। इनके पिता जी का नाम पंडित भोला सिंह उपाध्याय था।

 

इसके उपरांत निजामाबाद के एक मिडिल स्कूल में इन्होंने अध्यापक तथा उसके बाद कानूनगो पद पर कार्य किया। इन्होंने काशी विश्वविद्यालय में भी अवैतनिक शिक्षक के तौर पर भी अध्यापन का कार्य किया।

16 मार्च, 1947 में हरिऔध जी की मृत्यु हो गयी। मृत्यु के समय वे 76 वर्ष के थे।

 

अयोध्या सिंह उपाध्याय की शिक्षा : –

इनकी प्रारंभिक शिक्षा पाँच वर्ष की आयु में फ़ारसी भाषा के माध्यम से शुरू हुई थी। इनके चाचा इनको फ़ारसी पढ़ाना शुरू किये थे। मिडिल परीक्षा पास करने के बाद ये क्वीन्स कालेज ( बनारस ) में अंग्रेजी अध्ययन के लिए गए।

लेकिन स्वास्थ्य ठीक न रहने की वजह से इन्हें अध्ययन बीच में छोड़ना पड़ा। इसके बाद इन्होंने घर पर ही हिंदी, संस्कृत, फ़ारसी और अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया।

 

अयोध्या सिंह उपाध्याय जी का साहित्यिक परिचय : –

अयोध्या सिंह उपाध्याय जी मूल रूप से थे। लेकिन वे निबंध भी लिखे थे। अयोध्या सिंह उपाध्याय जी द्विवेदी युग के प्रतिनिधि कवि थे। इनके काव्य में वात्सल्य रस एवं विप्रलम्भ श्रृंगार रस की झलक देखने को मिलती है।

इन्होंने अपनी रचनाओं से खड़ी बोली को एक नया रूप प्रदान किया। इनकी कृति “प्रियप्रवास” को खड़ी बोली का पहला महाकाव्य भी कहा जाता है। इन्होंने हिंदी साहित्य के तीनों युगों – भारतेंदु युग, द्विवेदी युग तथा छायावादी युग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

 

अयोध्या सिंह उपाध्याय जी का साहित्यिक परिचय ( PDF ) : –

अयोध्या सिंह उपाध्याय का साहित्यिक परिचय PDF : – 

अयोध्या सिंह उपाध्याय जी ने गद्य तथा पद्य दोनों में रचनायें किया लेकिन ख्याति उन्हें पद्य में ही मिली। उन्होंने खड़ी बोली में रचना करके खड़ी बोली की क्षमता को प्रमाणित कर दिखाया और ये साबित कर दिया कि खड़ी बोली में भी महाकाव्य लिखा जा सकता है. वे अपनी रचनाओं के माध्यम से तत्कालीन राष्ट्रिय एवं विभिन्न सामाजिक समस्याओं को उजागर किये। 

नीचे दिए गए PDF को डाउनलोड करने के बाद आपको अयोध्या सिंह उपाध्याय का साहित्यिक परिचय का PDF मिलेगा।

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अयोध्या सिंह उपाध्याय “हरिऔध” की भाषा शैली : –

हरिऔध जी ने ब्रजभाषा और खड़ी बोली दोनों में ही कविता की है, लेकिन इनकी ज्यादातर रचनाएँ खड़ी बोली में ही रचित हैं।

हरिऔध जी के काव्यों में संस्कृत-काव्य शैली, रीतिकालीन अलंकरण शैली, आधुनिक युग की सरल हिंदी शैली, उर्दू-फ़ारसी की मुहावरेदार शैली आदि के दर्शन होते हैं।

 

इनकी भाषा प्रौढ़, प्रांजल व आकर्षक है। हरिऔध जी की काव्य रचनाएं एक ओर तो उच्च साहित्यिक भाषा शैली में थी वहीं दूसरी ओर उनकी रचनाएं आसान, व्यावहारिक और मुहावरेदार थी।

उनकी कविताएं में संस्कृत के तत्सम शब्द का इतना ज्यादा इस्तेमाल दिखता है कि कभी-कभी ऐसा प्रतीत होता है कि उनकी कविता का मूल भाषा संस्कृत ही है।

 

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Raskhan Ka Jivan Parichay

 

अयोध्या सिंह उपाध्याय की प्रमुख रचनाएँ :-

हरिऔध जी का सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण ग्रंथ का नाम प्रिय प्रवास है। यह ग्रंथ हिंदी खड़ी बोली में है। यह ग्रंथ हिंदी खड़ी बोली का सबसे पहला महाकाव्य है।

 

अयोध्या सिंह उपाध्याय की सभी साहित्यिक रचनाएँ :-

नाटक : –
i) प्रद्युम्न विजय ( 1893 )
ii) रुक्मिणी परिणय ( 1894 )

 

उपन्यास : –
i) प्रेमकान्ता ( 1894 )
ii) ठेठ हिंदी का ठाठ ( 1899 )
iii) अधखिला फूल ( 1907 )

 

काव्य : –
i) रसिक रहस्य ( 1899 )
ii) प्रेमाम्बुवारिधि ( 1900 )
iii) प्रेम प्रपंच ( 1900 )
iv) प्रेमाम्बु प्रश्रवण ( 1901 )
v) प्रेमाम्बु प्रवाह ( 1909 )
vi) प्रेम पुष्पहार ( 1904 )

 

आधुनिक हिंदी कविता ( छायावाद तक ) :-
i) उद्बोधन ( 1906 )
ii) काव्योपवन ( 1909 )
iii) प्रिय प्रवास ( 1914 )
iv) कर्मवीर ( 1916 )
v) ऋतु मुकुर ( 1917 )
vi) पद्यमप्रसून ( 1925 )
vii) पद्यम प्रमोद ( 1927 )
viii) चोखे चौपदे ( 1932 )
ix) वैदेही बनवास ( 1940 )
x) चुभते चौपदे
xi) रस कलश

 

अयोध्या सिंह उपाध्याय का साहित्य में स्थान :–

अयोध्या सिंह उपाध्याय जी का हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान है। वें हिंदी साहित्य के गौरव हैं। निःसंकोच हम यह कह सकते हैं, कि काव्य-प्रतिभा विविधरूपणी है।

 

अयोध्या सिंह उपाध्याय जी को पुरस्कार एवं सम्मान : –
हरिऔध जी का ग्रंथ प्रिय प्रवास को मंगला प्रसाद पुरस्कार मिला है। हिंदी साहित्य सम्मेलन में उन्हें सभापति भी चुना गया था। उन्हें हिंदी साहित्य सम्मेलन के विद्यावाचस्पति सम्मान भी मिला था।

 

अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ की काव्यगत विशेषताएँ :-

काव्यगत विशेषताएँ में अयोध्या सिंह उपाध्याय विभिन्न तरह के विषयों पर काव्य की रचना किए हैं। अयोध्या सिंह उपाध्याय कृष्ण – राधा, राम – सीता और आधुनिक समस्याओं से संबंधित अन्य समस्याओं पर भी अपना विचार नए ढंग से प्रकट किए हैं।

 

अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ की प्रसिद्ध कविताएँ :-

एक विनय, क्या से क्या, क्या होगा, कर्मवीर, अनोखी बातें,अपने को न भूलें,अभिनय कला,अभेद का भेद,अविनय,आती है,आदर्श,आ री नींद,आशालता,आँख का आँसू,आँसू,आँसू और आँखें, एक काठ का टुकड़ा आदि।

 

अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध का व्यक्तित्व और कृतित्व :-

अयोध्या सिंह उपाध्याय एक ज्ञानी और प्रतिभाशाली कवि थे। अयोध्या सिंह उपाध्याय के अंदर सभी गुण मौजूद थे जो एक कवि के अंदर होना चाहिए। अयोध्या सिंह उपाध्याय अपने बाबा सुमेर सिंह से प्रेरित होकर कविता लिखना शुरू किए थे।

 

अयोध्या सिंह उपाध्याय कवि के साथ – साथ निबंधकार तथा संपादक थे। जब हिंदी साहित्य सम्मेलन का आयोजन किया गया था तो उसमें अयोध्या सिंह उपाध्याय सभापति के रूप में कार्य किया था।

 

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अयोध्या सिंह उपाध्याय से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न ( FAQ ) :-
1. अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध द्वारा लिखित महाकाव्य कौन – सा था ?
Ans ➺ अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध द्वारा लिखित महाकाव्य प्रियप्रवास था। प्रियप्रवास खड़ी बोली हिंदी का पहला महाकाव्य था। इस महाकाव्य को मंगला प्रसाद पारितोषिक के द्वारा सम्मानित किया गया था।

 

2. अयोध्या सिंह उपाध्याय के माता का क्या नाम था ?
Ans ➺ अयोध्या सिंह उपाध्याय के माता नाम रुक्मणी देवी था।

 

3. अयोध्या सिंह उपाध्याय के पिता का क्या नाम था ?
Ans ➺ अयोध्या सिंह उपाध्याय के पिता का नाम भोला सिंह था।

 

4. अयोध्या सिंह उपाध्याय का जन्म कब हुआ था ?
Ans ➺ अयोध्या सिंह उपाध्याय का जन्म 15 अप्रैल 1865 को हुआ था।

 

5. अयोध्या सिंह उपाध्याय का जन्म कहाँ हुआ था ?
Ans ➺ अयोध्या सिंह उपाध्याय का जन्म आजमगढ़ जिला के निजामाबाद नामक स्थान पर हुआ था।

 

6. अयोध्या सिंह उपाध्याय का मृत्यु कब हुआ था ?
Ans ➺ अयोध्या सिंह उपाध्याय का मृत्यु 16 मार्च 1947 को हुआ था।

 

7. अयोध्या सिंह उपाध्याय का उपनाम क्या है ?
Ans ➺ अयोध्या सिंह उपाध्याय का उपनाम हरिऔध है।

 

8. अयोध्या सिंह उपाध्याय का विवाह कब हुआ था ?
Ans ➺ अयोध्या सिंह उपाध्याय का विवाह निर्मला कुमारी से 1884 में निजामाबाद में हुआ था।

 

9. अयोध्या सिंह उपाध्याय की पत्नी का क्या नाम था ?
Ans ➺ अयोध्या सिंह उपाध्याय की पत्नी का निर्मला कुमारी था।

 

10. अयोध्या सिंह उपाध्याय कौन से युग के कवि थे ?
Ans ➺ अयोध्या सिंह उपाध्याय द्विवेदी युग के कवि थे। द्विवेदी युग का नाम साहित्यकार महादेवी प्रसाद द्विवेदी के नाम पर रखा गया है।

 

11. अयोध्या सिंह उपाध्याय की मृत्यु कितना वर्ष की अवस्था में हुई थी ?
Ans ➺ अयोध्या सिंह उपाध्याय की मृत्यु 76 वर्ष की अवस्था में हुई थी।

 

12. हरिऔध का प्रथम उपन्यास कौन सा था ?
Ans ➺ हरिऔध का प्रथम उपन्यास प्रेमकान्ता था, जो 1894 में प्रकाशित किया गया था।

 

13. हरिऔध का अर्थ क्या होता है ?
Ans ➺ हरिऔध का अर्थ होता है एक लाख शब्दों का संकलन या स्थानीय और सरल भाषा में व्याख्या।

 

निष्कर्ष – हरिऔध जी में एक श्रेष्ठ वर्ग के कवि के सारे गुण विराजमान थे। श्री सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ ने कहा था कि हरिऔध जी सरल तथा कठिन भाषा में रचना कर सकते थे।

 

 

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