Modern History ( आधुनिक इतिहास ) का एक महत्वपूर्ण topic है। हमलोग अभी इस प्रश्न का उत्तर पढ़ेंगे – गांधी-इरविन समझौता कब हुआ इसके दो शर्तों का उल्लेख कीजिए।
गांधी इरविन समझौता कब हुआ ?
गांधी इरविन समझौता 5 मार्च 1931 को हुआ था। यह समझौता दिल्ली में हुआ था। इस समझौते की मध्यस्थता तेज बहादुर सप्रू और एम. एन. राय ने कराया था।
इस समझौते के लिए बातचीत 15 दिनों तक चला था। गांधी इरविन समझौता को ‘दिल्ली समझौता’ के नाम से भी जाना जाता है।
इरविन के द्वारा स्वीकार की गई शर्तें :-
1. राजनीतिक आंदोलनकारियों और अहिंसात्मक तरीके से धरना देने वाले भारतीय को जेल से रिहा कर दिया जाएगा।
2. सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान सभी जब्त की गई संपत्ति को वापस कर दिया जाएगा।
3. सभी सरकारी कर्मचारी जो अपने पद से त्यागपत्र दिए थे उन्हें दोबारा पद रखा जाएगा।
4. जुर्माने की वसूली को बंद कर दिया जाएगा।
5. एक निश्चित समुद्री सीमा के अंदर नमक बनाने की अनुमति दी जाएगी।
6. सविनय अवज्ञा आंदोलन के समय ब्रिटिश सरकार विभिन्न प्रकार के नए कानून लाया था उन सभी कानूनों को ख़त्म कर दिया जाएगा।
7. शराब की दूकान और विदेशी कपड़ों की दुकानों के सामने भारतीय धरना दे सकेंगे।
गांधीजी ने निम्नलिखित शर्तें स्वीकार किया : –
1. गांधीजी द्वारा चलाया गया पुरे देश में सविनय अवज्ञा आंदोलन को अब रोक दिया जायेगा।
2. कांग्रेस के प्रतिनिधि दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने लंदन जाएंगे।
3. पुलिस द्वारा किये गए भारतीयों पर अत्याचार के विरुद्ध जांच की मांग गांधीजी अब नहीं करेंगे।
गांधी इरविन समझौता का मुख्य कारण क्या था ?
गाँधी इरविन समझौते के दो मुख्य कारण थे : –
( 1 ) सविनय अवज्ञा आंदोलन पुरे देश में इतना व्यापक तरीके से फ़ैल गया था कि ब्रिटिश सरकार को सँभालने में मुश्किल आ रही थी।
( 2 ) कांग्रेस की तरफ से पहले गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए कोई नहीं गया था इसलिए पहला गोलमेज सम्मेलन असफल रहा था। ब्रिटिश सरकार अब समझ गयी थी की कांग्रेस के बिना अगले भी गोलमेज सम्मेलन का कोई परिणाम नहीं निकलेगा।