जीन पियाजे का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत | Jean Piaget Theory In Hindi

जीन पियाजे का संज्ञानात्मक विकास सिद्धान्त ( Jean Piaget Theory In Hindi ) :

जीन पियाजे का जन्म 1886 में स्विट्ज़रलैंड में हुआ था। जीन पियाजे स्विट्ज़रलैंड के रहने वाले थे। जीन पियाजे की सबसे पहली पुस्तक का नाम The Language Of Thought The Child था। पियाजे बच्चों पर प्रयोग किये थे और उस प्रयोग से हुए अवस्था में परिवर्तन को खोजे। जीन पियाजे के अनुसार चार अवस्थाएं होती है।

 

संज्ञानात्मक विकास के चरण :–
1. संवेदी गामक अवस्था (जन्म से 2 वर्ष) – इस अवस्था में बालक जो भी कार्य करता है, वह अपनी इन्द्रियों से करता है। इसी अवस्था में बालक प्रकाश के प्रति सचेत होता है। इसमें गामक क्रियाएँ करता है जैसे – पकड़ना, खेलना, लिखना आदि।

 

2. पूर्व संक्रियात्मक अवस्था (2 से 7 वर्ष) – इस अवस्था में बालक हमउम्र बच्चों के साथ खेलता है, शब्दों व प्रतीकों का प्रयोग करता है। बालक सही अनुपात का अंतर नहीं कर पाता तथा सही प्रकार का चित्र नहीं बना पाता।

इस अवस्था में जीववाद, अहंकेन्द्रिता, अपलटावी, केंद्रीकरण, क्रमबद्धता आदि का समावेश हो जाता है।

 

3. मूर्त संक्रियात्मक अवस्था (7 से 11 वर्ष) – इसमें बालक सही अनुपात का अंतर, भार, आकार, क्रम आदि में अंतर करने लगता है। इस अवस्था में मूर्त चिंतन करता है, तथा तर्क पर आधारित रहता है।

 

4. औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था (11 से 15 वर्ष) – इसमें बालक अमूर्त चिंतन करता है। अंकों का प्रयोग करता है। कार्य कारण को समझता है, तथा समस्या का समाधान करने लगता है।

 

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Aagman Aur Nigman Vidhi Ke Udaharan

 

पियाजे और वाइगोत्सकी के सिद्धांत के बीच अंतर :–
बहुत से मनोवैज्ञानिकों ने इन्हें इनके सिद्धांत के लिए आलोचना के द्वारा घेरा। इनके आलोचकों में एक वाइगोत्सकी भी थे, जो कि सोवियत संघ के मनोवैज्ञानिक थे। पियाजे का कहना था, कि जो परिवर्तन होगा वह अवस्था के अनुसार होगा।

 

लेकिन वाइगोत्सकी ने पियाजे के सिद्धांत का खंडन किया। वाइगोत्सकी का मानना था कि बालक का विकास उम्र के हिसाब से नहीं बल्कि सामाजिक रूप से होता है। अर्थात एक-दूसरे से अन्तःक्रिया करके होता है।

 

जीन पियाजे का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत से सम्बंधित Important Questions :-
1. जीन पियाजे के सिद्धांत का प्रमुख प्रस्ताव क्या है ?
Ans – जीन पियाजे के सिद्धांत का प्रमुख प्रस्ताव यह है कि बच्चों में सोचने की प्रवृति वयस्कों से बेहतर होती है। बच्चों में सोचने की प्रवृति मात्रात्मक रूप से अलग होती है। बच्चों में सोचने की प्रवृति गुणात्मक रूप से अलग होती है।

 

2. पियाजे सिद्धांत का मुख्य विचार क्या है ?
Ans – जीन पियाजे का मानना था कि सभी बच्चों में विकास होता है l लेकिन सभी बच्चों के सीखने समझने और विकास की गति एक सामान नहीं होती है। इसलिए बच्चों के विकास की भिन्न प्रवृति को देखकर ही किसी भी शिक्षक को शिक्षण की योजना बनानी चाहिए। शिक्षण का सिर्फ क योजना कक्षा के सभी बच्चों पर काम नहीं करेगा।

 

3. पियाजे के अनुसार अनुकूलन क्या है ?
Ans – जीन पियाजे का ये मानना था कि बच्चे जन्म लेने के बाद से ही दूसरों का देखकर और अवलोकन करके सीखते हैं और वैसा ही करते हैं। बच्चें की ऐसी प्रवृति को हम अनुकूलन कहते हैं।

 

4. पियाजे के सिद्धांत के 4 चरण क्या हैं ?
Ans – पियाजे के सिद्धांत के 4 चरण निम्नलिखित हैं : –
1. संवेदी पेशीय अवस्था (Sensory Motor Stage) : जन्म से 2 वर्ष
2. पूर्व संक्रियात्मक अवस्था (Pre Operational Stage) : 2 से 7 वर्ष
3. मूर्त संक्रियात्मक अवस्था (Concrete Operational Stage) : 7 से 12 वर्ष
4. औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था (Formal Operational Stage) : 12 से 15 वर्ष

 

5. संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत किसने दिया है ?
Ans – संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत जीन पियाजे ने दिया है।

 

6. पियाजे के अनुसार संज्ञानात्मक विकास की दूसरी अवस्था कौन सी है ?
Ans – पियाजे के अनुसार संज्ञानात्मक विकास की दूसरी अवस्था पूर्व संक्रियात्मक अवस्था है।

 

7. संज्ञानात्मक विकास के जनक कौन है ?
Ans – संज्ञानात्मक विकास के जनक जीन पियाजे हैं।

 

8. पियाजे के अनुसार संवेगात्मक गामक अवस्था की आयु वर्ष है ?
Ans – पियाजे के अनुसार संवेगात्मक गामक अवस्था की आयु जन्म से लेकर 2 वर्ष की आयु तक होती है।

 

9. पियाजे के अनुसार बच्चे भाषा कैसे सीखते हैं ?
Ans – पियाजे के अनुसार बच्चें भाषा अपने आस-पास के वातावरण को देखकर सीखते हैं।

 

10. जीन पियाजे के अनुसार संज्ञानात्मक विकास की अंतिम अवस्था कौन सी है ?
Ans – जीन पियाजे के अनुसार संज्ञानात्मक विकास की अंतिम अवस्था अमूर्त संक्रियात्मक अवस्था है।

 

11. पियाजे की किस अवस्था में बच्चा अमूर्त तर्क करने में सक्षम हो जाता है ?
Ans – पियाजे की औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था के दौरान बच्चा अमूर्त तर्क करने में सक्षम हो जाता है।

 

जीन पियाजे के अनुसार संज्ञानात्मक विकास की अवस्थाएं PDF के लिए नीचे Click करें।

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