मैक्डूगल की 14 मूल प्रवृत्तियाँ हैं। एक – एक करके पढ़ने से पहले है हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि मूल प्रवृत्तियाँ और संवेग क्या होती है।
मूल प्रवृत्ति – व्यक्तियों में संवेग उत्पन्न होने से जो क्रियाएं होती है उसे मूल प्रवृत्ति कहते हैं। मूल प्रवृत्ति जन्मजात क्रियाएं होती है। जैसे – भूख लगना, प्यास लगना, नींद आना आदि। मैक्डूगल ने बताया है कि ऐसे अनेक कार्य या व्यवहार है जिनको मनुष्यों या जीव – जंतुओं को सीखना नहीं पड़ता है। जैसे – पशु या पक्षी के द्वारा तैरना।
संवेग – संवेग व्यक्तियों में उत्तेजित करने वाली एक प्रक्रिया है जिससे मनुष्य अपने जीवन में सुख, दुःख, प्रेम, घृणा आदि का अनुभव करता है। संवेग का अंग्रेजी शब्द होता है – Emotion.
मैक्डूगल अमेरिका के रहने वाले थे। इनका जन्म 1871 में हुआ था। मैक्डूगल का पूरा नाम विलियम मैक्डूगल था। उन्होंने 1908 में एक पुस्तक प्रकाशित किया जिसका नाम ‘An introduction to Social psychology’ था।
मूल प्रवृत्ति शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग विलियम जेम्स ने किया था। विलियम जेम्स एक अमेरिकी मनोवैज्ञानिक थे।
विलियम मैक्डूगल ने मूल प्रवृत्ति का अध्ययन व्यवस्थित और विस्तार के आधार पर किया था।
मूल प्रवृत्ति का जनक विलियम मैक्डूगल को माना जाता है। वे इन सभी कार्यों को अपनी मूल प्रवृत्ति, आंतरिक प्रेरणा या नैसर्गिक शक्तियों के कारण करते हैं।
मनुष्य कुछ कार्यों को अपने समाज से प्रभावित होकर करते हैं। तथा कुछ ऐसे कार्य भी हैं जो प्राणियों में जन्मजात या प्राकृतिक प्रेरणाओं के कारण करना पड़ता है। जैसे – भूख लगने पर भोजन करना, डर लगने पर भागना।
प्रत्येक मूल प्रवृत्ति संवेग से जुड़ी होती है। जैसे – जब हम कोई डरावना वस्तु या जीव को देखते हैं तो हम वहां से भागने लगते हैं। संवेग की उत्पत्ति मूल – प्रवृत्ति से हुई है।
मूल प्रवृत्ति जन्मजात मनोशारीरिक प्रवृत्ति है जो प्राणी को किसी विशेष वस्तु को देखने, उसके प्रति ध्यान देने, उसे देखकर एक विशेष प्रकार की संवेगात्मक उत्तेजना उत्पन्न होती है। जिसे करने के लिए प्रबल इच्छा का अनुभव होती है।
मूल प्रवृत्तियों की विशेषताएं :-
1. मूल प्रवृत्ति जन्मजात होती है।
2. मूल प्रवृत्ति सभी प्राणियों में पाई जाती है।
3. मूल प्रवृत्तियों के साथ संवेग जुड़े रहते हैं।
4. मूल प्रवृत्तियों के तीन पक्ष हैं – संज्ञानात्मक, संवेगात्मक एवं क्रियात्मक होते हैं।
5. मूल प्रवृत्तियों के अनुभव से प्राणी लाभ उठाता है।
6. मूल प्रवृत्तियों का वृद्धि अनुभव और वातावरण द्वारा परिवर्तित और विकसित किया जा सकता है।
7. मूल प्रवृति एक ऐसा आकर्षण है जो सकारात्मक और नकारात्मक हो सकती है।
मूल प्रवृत्तियों का शिक्षा में महत्व :-
1. मूल प्रवृत्ति बच्चों के प्रेरणा देने में सहायता करता है।
2. मूल प्रवृत्ति बच्चों के रूचि और रुझान जानने में सहायता करता है।
3. मूल प्रवृत्ति बच्चों के व्यवहार परिवर्तन में सहायता करता है।
4. मूल प्रवृत्ति बच्चों के ज्ञान प्राप्ति में सहायता करता है।
5. मूल प्रवृत्ति बच्चों के चरित्र निर्माण में सहायता करता है।
6. मूल प्रवृत्ति बच्चों के रचनात्मक कार्यों में सहायता करता है।
7. मूल प्रवृत्ति बच्चों के आदत निर्माण में सहायता करता है।
मैक्डूगल के 14 मूल प्रवृत्तियां और उससे संबंधित संवेग :-
मूल प्रवृत्तियां – संवेग
1. पलायन (Escape) – भय (fear)
2. युयुत्सा (Combat) – क्रोध (Anger)
3. निवृत्ति (Repulsion) – घृणा (Disgust)
4. जिज्ञासा (Curiosity) – आश्चर्य (Wonder)
5. शिशुरक्षा (Parental) – वात्सल्य (Love)
6. शरणागति (Apeal) – विषाद (Distress)
7. रचनात्मक (Construction) – संरचनात्मक भावना (feeling of creativeness)
8. संचय प्रवृत्ति (Acquistion) – स्वामित्व की भावना (feeling of ownership)
9. सामूहिकता (Gregariousness) – एकाकीपन (feeling of loneliness)
10. काम (Sex) – कामुकता (Lust)
11. आत्म-गौरव (Self-assertion) – श्रेष्ठता की भावना (positive self-feeling)
12. दैन्य (Submission) – आत्महीनता (Negative self-feeling)
13. भोजन-अन्वेषण (food seeking) – भूख (Appetite)
14. हास (Laughter) – आमोद (Amusement)
मैक्डूगल के 14 मूल प्रवृत्तियां से संबंधित FAQ :-
1. मूल प्रवृत्ति का सिद्धांत किसने दिया था ?
Ans ➺ विलियम मैक्डूगल
2. मूल प्रवृत्तियों की संख्या संवेग के संबंध में कितनी है ?
Ans ➺ 14
3. मैक्डूगल ने कितनी मूल प्रवृत्तियाँ बतायी है ?
Ans ➺ 14
4. फ्रायड के अनुसार मूल प्रवृतियां कितनी होती है ?
Ans ➺ 2 – जन्म और मृत्यु
5. मूल प्रवृत्ति का मतलब क्या होता है ?
Ans ➺ मूल प्रवृत्ति संवेग के साथ उत्पन्न होने वाली क्रिया है। कुछ मूल प्रवृत्तियां जन्मजात होती है और कुछ अर्जित होती है।