जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय | Jaishankar Prasad Ka Jeevan Parichay

जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय ( Jaishankar Prasad Ka Jeevan Parichay ) :-
जयशंकर प्रसाद का जन्म 1889 में हुआ था। इनका जन्म वाराणसी के काशी में प्रतिष्ठित वैश्य परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम देवी प्रसाद तथा माता का नाम मुन्नी देवी था।

 

इनके परिवार सुंघनी साहू के नाम से प्रसिद्ध था। इनके पिता तम्बाकू के व्यापार करते थे। जयशंकर प्रसाद जब 12 वर्ष के थे तो उनके पिता की मृत्यु हो हो गई।

 

जयशंकर प्रसाद जी का प्रारंभिक शिक्षा काशी में क्वींस कॉलेज में हुई थी। वहां पर उन्होंने 7वें तक ही पढ़ाई किए। कुछ समय बाद उनकी माता की भी मृत्यु हो गई। जिसके कारण उनकी शिक्षा घर पर ही हुई। जयशंकर प्रसाद घर पर ही हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू तथा फारसी का अध्ययन किए।

 

उनको कविता लिखने की प्रेरणा उनके आस – पास मौजूद विद्वानों से मिली थी। उनकी शुरूआती काव्य ब्रज भाषा और खड़ीबोली में थी।

 

जयशंकर प्रसाद जी का व्यक्तित्व : –
जयशंकर प्रसाद का यह मानना था कि ‘जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है प्रसन्नता। यह जिसने हासिल कर ली उसका जीवन सफल हो गया। जयशंकर प्रसाद हंसमुख स्वभाव के थे।

 

जयशंकर प्रसाद जी का पारिवारिक जीवन : –
जयशंकर प्रसाद अपने जीवन में तीन शादियां किए थे। उनका बचपन का जीवन सुख से बीता लेकिन जब से वे दान देना शुरू किए ऋणी हो गए। जयशंकर प्रसाद कुछ ऋण अपनी पैतृक संपत्ति को बेचकर चुकाए।

 

जयशंकर प्रसाद अपने जीवन में कभी व्यवसाय की ओर ध्यान नहीं दिया जिसके कारण उनके पारिवारिक स्थिति बहुत ख़राब हो गई।

 

जयशंकर प्रसाद जी का अंतिम समय : –
जयशंकर प्रसाद क्षय रोग ( फफड़े का टी.बी. ) से ग्रसित थे जिसके कारण सिर्फ 48 साल की उम्र में 1937 में उनकी मृत्यु हो गई। इरावती जयशंकर प्रसाद जी का अंतिम उपन्यास था। जो उनके असमय मृत्यु के कारण अधूरा रह गया था।

 

जयशंकर प्रसाद जी का साहित्यिक परिचय : –
जयशंकर प्रसाद जी छायावाद युग के प्रवर्तक, उन्नायक और प्रतिनिधि कवि होने के साथ – साथ युग प्रवर्तक नाटककार, कथाकार, और उपन्यासकार भी थी। उनकी रचना कामायनी महाकाव्य के लिए मंगला प्रसाद परितोष से सम्मानित किया गया था।

उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह हमेशा साहित्य के क्षेत्र में लगे रहे। उनके अन्य कई रचनाओं में उनके अन्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।

 

उनको प्रसाद युग का निर्माणकर्ता कहा जाता है और साथ ही साथ उनको छायावाद युग का प्रवर्तक भी माना जाता है।

 

जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएँ :-
उनकी पहली रचना का नाम था – ‘चित्राधार’। इस रचना के दो संस्करण आये थे। पहला संस्करण 1918 और दूसरा 1928 में। उनकी ‘कामायनी’ रचना आज के दौर का सर्वश्रेष्ठ रचना कहा जाता है। ‘कामायनी’ एक महाकाव्य है। जयशंकर प्रसाद हिंदी साहित्य में कुल 67 रचनाएं की थी।

 

जयशंकर प्रसाद की प्रसिद्ध रचनाएँ :-
✅प्रसिद्ध काव्य – चित्राधार, कानन-कुसुम, झरना, आंसू, लहर और कामायनी
✅प्रसिद्ध नाटक – अजातशत्रु, चन्द्रगुप्त, स्कंदगुप्त, और ध्रुवस्वामिनी, एक घूंट
✅प्रसिद्ध उपन्यास – कंकाल, तितली, और इरावती
✅प्रसिद्ध कहानी संग्रह – आकाशदीप, आंधी, इंद्रजाल, छाया, प्रतिध्वनि

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निष्कर्ष – हम जयशंकर पसाद जी को कवि के रूप में जानते हैं लेकिन वे एक निपुण नाटककार, उपन्यासकार, कहानीकार और निबंधकार भी थे।

जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय का यह पोस्ट उनके जीवन के बारे में सभी जानकारी प्रदान करता है। जयशंकर प्रसाद एक ऐसे कवि थे जो हिंदी काव्य को एक नए दिशा में लेकर गए।

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