आगमन निगमन विधि | Aagman Nigman Vidhi

आगमन निगमन विधि ( Aagman Nigman Vidhi ) आपके एग्जाम के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण टॉपिक है। इस टॉपिक से आपके एग्जाम में प्रश्न बार – बार पूछे जाते हैं। इस टॉपिक को आप अच्छी तरह से पढ़ लीजिए।

 

आगमन विधि : – 

आगमन विधि के जनक अरस्तु को कहा जाता है। आगमन विधि में सीधे अनुभवों , उदाहरणों तथा प्रयोगों का अध्ययन करके नियम निकाले जाते हैं। हम इसे सरल भाषा में यह भी कह सकते हैं कि आगमन विधि में सबसे पहले उदाहरण को दिया जाता है और इसके बाद नियम को बताया जाता है। 

 

आगमन विधि उदाहरण से नियम की ओर चलने वाली विधि है। आगमन विधि को शिक्षण विधि ”छात्र केंद्रित ” विधि भी कहते हैं। आगमन विधि विद्यार्थियों को ”करके सीखने” पर बल देती है। अर्थात कहने का मतलब यह है कि विद्यार्थियों को उदाहरण बता दीजिए वे नियम को खुद बना लेंगे। 

 

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आगमन विधि के सूत्र इस प्रकार है : –

1. स्थूल से सूक्ष्म की ओर

2. ज्ञात से अज्ञात की ओर

3. उदाहरण से नियम की ओर बढ़ते है

4. मूर्त से अमूर्त की ओर आगे बढ़ते है

 

आगमन विधि की कुछ विशेषता इस प्रकार है : –

आगमन विधि में जो अर्जित ज्ञान प्रत्यक्ष तथ्यों पर आधारित होता है। आगमन विधि में विद्यार्थी के द्वारा खुद कार्य करने की प्रेरणा होती है। यह जो विधि छोटी कक्षा के लिए होती है।  

 

आगमन विधि के दोष कुछ इस प्रकार है : – 

आगमन विधि में सीखने में ज्यादा समय लगता है। क्योंकि इसमें उदाहरण पहले दिया जाता है और बाद में नियम को बताया जाता है। इस विधि में पाठ्यक्रम भी सही समय से पूरा नहीं होता है। इसमें सीखने की जो प्रवृति होती है वह धीमी गति से होता है।  

 

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निगमन विधि : –

निगमन विधि के जनक अरस्तु को कहा जाता है। निगमन विधि आगमन विधि के उल्टा होता है। इस विधि में सर्वप्रथम नियम को बताया जाता है और बाद में उदाहरण को दिया जाता है। यह विधि नियम से उदाहरण की ओर चलती है। इस विधि में सबसे पहले बच्चों को नियमों के बारे में बताया ज्ञान दे दिया जाता है।  

 

निगमन विधि में उदाहरण को देकर उन नियमों को समझाया जाता है। यह विधि ” शिक्षक केंद्रित ” विधि कहलाती है। निगमन विधि में अध्यापक ही सारे नियम को सिखाते हैं।  

 

निगमन विधि के सूत्र कुछ इस प्रकार है : –

1. सूक्ष्म से स्थूल की ओर  अर्थात छोटा से बड़ा की ओर

2. अज्ञात से ज्ञात की ओर

3. नियम से उदाहरण की ओर आगे बढ़ाते हैं ।

4. अमूर्त से मूर्त की ओर बढ़ाते है ।

 

निगमन विधि की कुछ विशेषता इस प्रकार है : –

निगमन विधि में समय की बचता होती है और प्रश्न ज्यादा हल करवाये जा सकते है। यह विधि बार – बार अभ्यास से लाभप्रद होते हैं। इस विधि में नियम को पहले बताया जाता है और बाद में उदाहरण दिया जाता है। इस विधि को अध्यापक सबसे ज्यादा प्रयोग करते हैं। 

 

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निगमन विधि का दोष कुछ इस प्रकार है : – 

निगमन विधि में रटने की प्रवृति सबसे ज्यादा विकसित होती है। इस विधि में अपूर्ण ज्ञान होती है। यह विधि में वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न नहीं हो पाता है।  

 

आगमन और निगमन विधि से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न : –

1. आगमन विधि को अंग्रेजी में ( In English ) में क्या कहते हैं ?
Ans – Inductive Method

 

2. निगमन विधि को अंग्रेजी में ( In English ) में क्या कहते हैं ?
Ans – Deductive Method

 

3. आगमन विधि के जनक कौन थे ?
Ans – अरस्तु

 

4. निगमन विधि के जनक कौन थे ?
Ans – अरस्तु

 

5. आगमन विधि को अन्‍य किस नाम से जाना जाता है ? 

Ans – व्याकरण शिक्षण की वैज्ञानिक विधि, सूत्र प्रणाली विधि, संश्लेषण प्रणाली विधि

 

Conclusion : – हमें विश्वास है कि आपने ऊपर दिए हुए आगमन निगम विधि के टॉपिक को पढ़ लिए हैं। आपको इस टॉपिक को समझने में कोई परेशानी नहीं हुई होगी। इस टॉपिक में कुछ Facts दिए गए उसे आप अपनी कॉपी में लिखकर बार – बार Revise करें।

 

 

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