अमृता देवी बिश्नोई | Amrita Devi Bishnoi In Hindi

अमृता देवी बिश्नोई ( Amrita Devi Bishnoi In Hindi ) :–
अमृता देवी बिश्नोई जोधपुर ( राजस्थान ) जिले के खेजडली गाँव एक निडर महिला थी। उन्होंने बिश्नोई समाज के लिए पर्यावरण संरक्षण में अपने प्राणों का बलिदान दिया था।

 

अमृता देवी चिपको आंदोलन ( Amrita Devi Chipko Movement ) :-
यह घटना सन 1731 की है, जो कि राजस्थान के एक छोटे से गांव खेजड़ली में हुई थी। इस गाँव में खेजड़ी के पेड़ अधिक मात्रा में थे, तो इस कारण से ही इस गाँव का नाम खेजड़ली पड़ा। उस समय जोधपुर पर राज अभय सिंह का शासन था। और उनके मंत्री गिरधारी दास भंडारी थे।

 

राजा एक नए महल का निर्माण कार्य करवाना चाहते थे। जिसके लिए चूने की आवश्यकता पड़ती थी, और चूने को जलाने के लिए बहुत अधिक मात्रा में लकड़ियों की भी आवश्यकता थी। तो राजा द्वारा लकड़ियों को काटकर लाने का आदेश जारी हुआ।

 

उस समय राजस्थान में ज्यादातर हिस्सों में सूखा पड़ा हुआ था। लेकिन खेजड़ली गाँव में अच्छी मात्रा में खेजड़ी के पेड़ थे। तो वहीं से पेड़ों को काटने का आदेश मिला।

 

खेजड़ली गाँव में बिश्नोई समाज के लोग रहते थे, जो पेड़-पौधो, जानवरों व वातावरण को अपने जीवन का एक अहम हिस्सा मानते थे, तथा अपने भाई-बहन की तरह मानते थे।

 

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जब मंत्री गिरधारीदास भंडारी पेड़ों को काटने के लिए वहाँ पहुँचा तो “अमृता देवी बिश्नोई” जी पेड़ों से लिपट गयी, और पेड़ों को काटने से रोका। इसे देखकर गाँव के बाकी लोगों ने भी विरोध किया।

 

विरोध को देखते हुए उस समय तो मंत्री अपने लोगों को लेकर वहाँ से चल गया। लेकिन वो लोग 21 सितंबर की रात को वापस आये, और पेड़ों को काटने लगे।

 

“अमृत देवी बिश्नोई” दोबारा से पेड़ों से लिपट गयी जिसे देखकर उनकी बेटियां भी पेड़ों से लिपट गयी। और देखते ही देखते बाकी लोग भी पेड़ों से लिपट गए। लेकिन मंत्री व उनके सैनिक इतने क्रूर थे कि वें पेड़ों के साथ लोगों को ही काटने लगे।

 

इस प्रकार पेड़ों की रक्षा के लिए “अमृता देवी बिश्नोई” जी ने अपने प्राणों का भी मोह नहीं किया, और अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। उस दिन केवल एक के प्राण नहीं गए बल्कि उनके साथ कुल मिलाकर 363 लोगों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया।

 

अमृत देवी बिश्नोई जी व बिश्नोई समाज का पर्यावरण संरक्षण में योगदान अतुलनीय है। सही मायने में चिपको आंदोलन का जनक अमृत देवी जी को ही कहा जाना चाहिए। यह घटना सही मायने में चिपको आंदोलन का आरम्भ थी।

 

चिपको आंदोलन से सम्बंधित महत्वपूर्ण Questions के लिए नीचे Click करें।

 

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अमृता देवी बिश्नोई पुरस्कार :-
अमृता देवी बिश्नोई पुरस्कार लोगों को साहस एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए दिया जाता है। अमृता देवी बिश्नोई पुरस्कार की शुरुआत 1994 में किया गया था।

अमृता देवी बिश्नोई से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न : –
1. अमृता देवी बिश्नोई पुरस्कार में कितनी राशि दी जाती है ?
Ans – अमृता देवी बिश्नोई पुरस्कार में एक लाख की राशि दी जाती है।

 

2. अमृता देवी के पति का नाम क्या था ?
Ans – अमृता देवी के पति का नाम रामो जी खोड बिश्नोई था।

 

3. अमृता देवी पुरस्कार की शुरुआत कब हुई ?
Ans – अमृता देवी पुरस्कार की शुरुआत 1994 से हुई।

 

4. अमृता देवी चिपको आंदोलन कब हुआ था ?
Ans – अमृता देवी चिपको आंदोलन 12 सितंबर 1730 को हुआ था।

 

5. अमृता देवी बिश्नोई किस पेड़ से जुड़ी है ?
Ans – अमृता देवी बिश्नोई खेजड़ी पेड़ से जुड़ी है।

 

6. खेजड़ली दिवस कब मनाया जाता है ?
Ans – खेजड़ली दिवस 12 सितंबर को मनाया जाता है।

 

7. खेजड़ली गांव की घटना कब हुई ?
Ans – खेजड़ली गांव की घटना 12 सितंबर 1730 को हुई थी।

 

8. अमृता देवी का नारा क्या था ?
Ans – अमृता देवी का नारा था कि “ सिर सांटे पर रूख रहे तो भी सस्तो जाण ”।

 

9. अमृता देवी बिश्नोई को कौन सा पुरस्कार दिया गया था ?
Ans – अमृता देवी बिश्नोई को भारत सरकार के द्वारा वन्यजीव सुरक्षा पुरस्कार दिया गया था।

 

 

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