भारत शासन अधिनियम ( Bharat Sasan Adhiniyam ) 1935 :-
भारतीय संविधान का मूल स्रोत भारत शासन अधिनियम 1935 को माना जाता है। भारत शासन अधिनियम 1935 में 321 अनुच्छेद और 10 अनुसूचियां थी।
भारत शासन अधिनियम 1935 के तहत प्रांत में द्वैध शासन ( द्वैध शासन के अंतर्गत भारत में दो तरह की सरकारें थे। एक प्रांतीय सरकार और दूसरा केंद्र सरकार ) को समाप्त कर दिया गया था। और प्रांतीय स्वायत्तता शुरू कर दिया गया था अर्थात प्रांतो को एक संवैधानिक स्वतंत्रता प्रदान कर दिया गया था। प्रांत में द्वैध शासन की शुरुआत 1919 में हुई थी।
केन्द्र में द्वैध शासन प्रणाली की शुरुआत 1935 में किया गया था। केन्द्र में द्वैध शासन प्रणाली के अंतर्गत तीन सूचियां हैं – परिसंघ सूची, प्रांतीय सूची, समवर्ती सूची। परिसंघ को आज हम केन्द्र सूची के नाम से जानते हैं। प्रांतीय सूची को आज हम राज्य सूची के नाम से जानते हैं।
संघीय न्यायालय ( सुप्रीम कोर्ट ) की शुरुआत 1937 में की गई थी। उस समय संघीय न्यायालय में 1 मुख्य न्यायाधीश तथा 2 अन्य न्यायाधीश होते थे।
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देश की मुद्रा एवं साख पर नियंत्रण करने के लिए RBI की स्थापना की गई थी। RBI की स्थापना 1 अगस्त 1935 में की गई थी। RBI की स्थापना भारत शासन अधनियम 1935 की देन थी।
भारत शासन अधनियम 1935 के द्वारा भारत परिषद का अंत कर दिया गया। वर्मा को भारत शासन अधनियम 1935 के द्वारा मध्य प्रांत में शामिल कर लिया गया था।
भारत शासन अधनियम 1935 के द्वारा ब्रिटिश संसद को सर्वोच्च माना गया।
सम्प्रदायिक निर्वाचन पद्धति भारत शासन अधनियम 1935 की देन है। भारत शासन अधनियम 1935 के द्वारा ही अखिल भारतीय संघ को बनाया गया था।
भारत शासन अधिनियम ( Bharat Sasan Adhiniyam ) 1935 में सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न :-
1. भारत शासन अधिनियम 1935 की विशेषता क्या था ?
Ans – भारतीय संविधान में इस एक्ट से बहुत बड़ा भाग लिया गया था।
2. भारत शासन अधिनियम 1935 का दोष क्या था ?
Ans – भारत शासन अधिनियम 1935 का सबसे बड़ी दोष थी कि संविधान संशोधन की शक्तियां ब्रिटिश संसद के पास होता था।
3. 1935 के भारत सरकार अधिनियम के अनुसार प्रांतों में मंत्रिमंडल कब स्थापित हुआ ?
Ans – 1935 के भारत सरकार अधिनियम के अनुसार प्रांतों में मंत्रिमंडल 1937 में स्थापित हुआ।
4. केंद्र में द्वैध शासन कब लागू हुआ ?
Ans – केंद्र में द्वैध शासन 1935 में लागू हुआ था।
5. भारत शासन अधिनियम 1935 में कितनी धाराएं थी ?
Ans – भारत शासन अधिनियम 1935 में 321 धाराएं थी।
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